Sunday, June 27, 2010

कसौटी


सुकेश साहनी

खुशी के मारे उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। साइबर कैफे से बाहर आते ही उसने घर का नम्बर मिलाया।

‘‘पापा!...’’ उससे बोला नहीं गया।

‘‘हमारी बेटी ने किला फतेह कर लिया! है न?’’

‘‘हाँ, पापा!’’ वह चहकी, ‘‘मैंने मुख्य परीक्षा पास कर ली है। मेरिट में दूसरे नम्बर पर हूँ !’’

‘‘शाबाश! मुझे पता था... हमारी बेटी है ही लाखों में एक!’’

‘‘पापा, पंद्रह मिनट के ब्रेक के बाद एक माइनर पर्सनॉलिटी टेस्ट और होना है। उसके फौरन बाद हमें अपाइंटमेंट लेटर दे दिए जाएँगे। मम्मी को फोन देना...’’

‘‘इस टेस्ट में भी हमारी बेटी अव्वल रहेगी। तुम्हारी मम्मी सब्जी लेने गई है। आते ही बात कराता हूँ। आल द बेस्ट, बेटा!’’

उसकी आँखें भर आईं। पापा की छोटी-सी नौकरी थी, लेकिन उन्होंने बैंक से कर्जा लेकर अपनी दोनों बेटियों को उच्च शिक्षा दिलवाई थी। मम्मी-पापा की आँखों में तैरते सपनों को हकीकत में बदलने का अवसर आ गया था। बहुराष्ट्रीय कम्पनी में एग्ज़ीक्यूटिव ऑफिसर के लिए उसने आवेदन किया था। आज ऑनलाइन परीक्षा उसने मेरिट में पोजीशन के साथ पास कर ली थी।

दूसरे टेस्ट का समय हो रहा था। उसने कैफे में प्रवेश किया। कम्प्यूटर में रजिस्ट्रेशन नम्बर फीड करते ही जो पेज खुला, उसमें सबसे ऊपर नीले रंग में लिखा था-‘‘वेलकम-मिस सुनन्दा!’’ नीचे प्रश्न दिए हुए थे, जिनके आगे अंकित यसअथवा नोको उसे टिककरना था...

विवाहित हैं? इससे पहले कहीं नौकरी की है? बॉस के साथ एक सप्ताह से अधिक घर से बाहर रही हैं? बॉस के मित्रों को ड्रिंकसर्व किया है? एक से अधिक मेल फ्रेंड्स के साथ डेटिंग पर गई हैं? किसी सीनियर फ्रेंड के साथ अपना बैडरूम शेअर किया है? पब्लिक प्लेस में अपने फ्रेंड को किसकिया है? नेट सर्फिेग करती हैं? पॉर्न साइट्स देखती हैं? चैटिंग करती हैं? एडल्ट हॉट रूम्स में जाती हैं? साइबर फ्रेंड्स के साथ अपनी सीक्रेट फाइल्स शेअर करती हैं? चैटिंग के दौरान किसी फ्रेंड के कहने पर खुद को वेब कैमरे के सामने एक्सपोज़ किया है?.....

सवालों के जवाब देते हुए उसके कान गर्म हो गए और चेहरा तमतमाने लगा। कैसे ऊटपटांग और वाहियात सवाल पूछ रहे हैं? अगले ही क्षण उसने खुद को समझाया-बहुराष्ट्रीय कम्पनी है, विश्व के सभी देशों की सभ्यता एवं संस्कृति को ध्यान में रखकर क्वेश्चन फ्रेम किए गए होंगे।

सभी प्रश्नों के जवाब टिककर उसने पेज को रिजल्ट के लिए सबमिटकर दिया। कुछ ही क्षणों बाद स्क्रीन पर रिजल्ट देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। सारी खुशी काफूर हो गई। ऐसा कैसे हो सकता है? पिछले पेज पर जाकर उसने सभी जवाब चेक किए, फिर सबमिटकिया। स्क्रीन पर लाल रंग में चमक रहे बड़े-बड़े शब्द उसे मुँह चिढ़ा रहे थे- सॉरी सुनन्दा! यू हैव नॉट क्वालिफाइड। यू आर नाइंटी फाइव परसेंट प्युअर (pure)। वी रिक्वाअर एट लीस्ट फोर्टी परसेंट नॉटी (naughty)।

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1 comment:

सुरेश यादव said...

सुकेश साहनी की यह लघु कथा पहले भी कहीं पढ़ी है.अंधी छलांग लगाती सभ्यता के इस दौर में सफलता के बहुत सारे पैमाने बदल गए हैं.बहुत छोटी घटना से बहुत बड़े सवाल को उछाला गया है यही इस लघुकथा की सफलता है.लघुकथाएं प्रायः अतिशयता की शिकार होती हैं ,यह लघुकथा यदि बच पाती तो बहुत अच्छा होता मेरी हार्दिक बधाई.