Friday, May 11, 2007
तोते
भंडारे का समय था। मंदिर में बहुत लोग इकट्ठे थे। तभी कहीं से तोता उड़ता हुआ आया और मंदिर की दीवार पर बैठकर बोला,”अल्लाह-हो-अकबर---अल्लाह-हो-अकबर---”
ऐसा लगा जैसे यहाँ भूचाल आ गया हो। लोग उत्तेजित होकर चिल्लाने लगे। साधु-संतों ने अपने त्रिशूल तान लिये । यह खबर आग की तरह चारों ओर फैल गई, शहर में भगदड़ मच गई, दुकानें बंद होने लगीं, देखते ही देखते शहर की सड़कों पर वीरानी-सी छा गई।
उधर मंदिर-समर्थकों ने आव देखा न ताव, जय श्री राम बोलने वाले तोते को जवाबी हमले के लिए छोड़ दिया।
शहर आज रात-भर बन्दूक की गोलियों से गनगनाता रहा। बीच-बीच में अल्लाह-हो-अकबर और जय श्री राम के उद्घोष सुनाई दे जाते थे।
सुबह शहर के विभिन्न धर्मस्थलों के आस-पास तोतों के शव बिखरे पड़े थे। किसी की पीठ में छुरा घोंपा गया था और किसी को गोली मारी गई थी ।जिला प्रशासन के हाथ-पैर फूले हुए थे। तोतों के शवों को देखकर यह बता पाना मु्श्किल था कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान, जबकि हर तरफ से एक ही सवाल दागा जा रहा था-कितने हिन्दू मरे, कितने मुसलमान” जिलाधिकारी ने युद्ध-स्तर पर तोतों का पोस्टमार्टम कराया जिससे यह पता चल गया कि मृत्यु कैसे हुई है ;परंतु तोतों की हिन्दू या मुसलमान के रूप में पहचान नहीं हो पाई ।
हर कहीं अटकलों का बाज़ार गर्म था। किसी का कहना था कि तोते पड़ोसी दुश्मन देश के एजेंट थे, देश में अस्थिरता फैलाने के लिए भेजे गए थे। कुछ लोगों को हमदर्दी तोतों के साथ थी, उनके अनुसार तोतों को ‘टूल’ बनाया गया था। कुछ का मानना था कि तोते तंत्र-मंत्र,गंडा-ताबीज से सिद्ध ऐय्यार थे, यानी जितने मुँह उतनी बातें।
प्रिय पाठक पिछले कुछ दिनों से जब भी मैं घर से बाहर निकलता हूँ, गली मुहल्ले के कुछ बच्चे मुझे “तोता!---तोता!1”---कहकर चिढ़ाने लगते हैं, जबकि मैं आप-हम जैसा ही एक नागरिक हूँ ।
Wednesday, May 9, 2007
प्रतिमाएँ
उनका काफिला जैसे ही बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के नज़दीक पहुँचा, भीड़ ने घेर लिया। उन नग-धड़ंग अस्थिपंजर-से लोगों के चेहरे गुस्से से तमतमा रहे थे। भीड़ का नेत्तृव कर रहा युवक मुट्ठियाँ हवा में लहराते हुए चीख रहा था, “मुख्यमंत्री---मुर्दाबाद ! रोटी कपड़ा दे न सके जो, वो सरकार निकम्मी है! प्रधानमंत्री !---हाय!हाय!1” मुख्यमंत्री ने जलती हुई नजरों से वहां के जिलाधिकारी की ओर देखा। आनन-फानन में प्रधानमंत्री जी के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के हवाई निरीक्षण के लिए हेलीकाप्टर का प्रबंध कर दिया गया। वहां की स्थिति सँभालने के लिए मुख्यमंत्री वहीं रुक गए।
हवाई निरीक्षण से लौटने पर प्रधानमंत्री दंग रह गए। अब वहां असीम शांति छायी हुई थी। भीड़ का नेतृत्व कर रहे युवक की विशाल प्रतिमा चौराहे के बीचोंबीच लगा दी गई थी। प्रतिमा की आँखें बंद थी, होंठ भिंचे हुए थे और कान असामान्य रूप से छोटे थे। अपनी मूर्ति के नीचे वह युवक लगभग उसी मुद्रा में हाथ बाँधे खड़ा था। नंग-धड़ंग लोगों की भीड़ उस प्रतिमा के पीछे एक कतार के रूप में इस तरह खड़ी थी मानो अपनी बारी की प्रतीक्षा में हो। उनके रुग्ण चेहरे पर अभी भी असमंजस के भाव थे।
मुख्यमंत्री सोच में पड़ गए थे। जब से उन्होंने इस प्रदेश की धरती पर कदम रखा था, जगह-जगह स्थानीय नेताओं की आदमकद प्रतिमाएँ देखकर हैरान थे। सभी प्रतिमाओं की स्थापना एवं अनावरण मुख्यमंत्री के कर कमलों से किए गए होने की बात मोटे-मोटे अक्षरों में शिलालेखों पर खुदी हुई थी। तब वे लाख माथापच्ची के बावजूद इन प्रतिमाओं को स्थापित करने के पीछे का मकसद एकदम स्पष्ट हो गया था। राजधानी लौटते हुए प्रधानमंत्री बहुत चिंतित दिखाई दे रहे थे।
दो घंटे बाद ही मुख्यमंत्री को देश की राजधानी से सूचित किया गया-“आपको जानकर हर्ष होगा कि पार्टी ने देश के सबसे महत्त्वपूर्ण एवं विशाल प्रदेश की राजधानी में आपकी भव्य,विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया है। प्रतिमा का अनावरण पार्टी-अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री के कर-कमलों से किया जाएगा। बधाई !”
कम्प्यूटर
पलक झपकते ही वह खूबसूरत युवती र्में तब्दील हो गया। फिर सम्मोहित कर देने वाले नारी स्वर में बोला, “दो संप्रदायों की उग्र भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा,जिसके कारण बीस लोगों को चोटें आई है। एहतियात के तौर पर शहर के बारह थाना क्षेत्रों में कर्फ़्यू लगा दिया गया है।”
भीड़ से तेज भनभनाहट उभरी। नदी-नालों में बह-बहकर आ रहे अधजले शवों को लेकर जनता में भारी रोष व्याप्त्त था।
वह बिजली के बल्ब की तरह दो-तीन बार जला-बुझा, फिर गृहमंत्री के रूप में सामने आकर आवाज़ में मिश्री घोलते हुए बोला, “कृपया अफवाहों पर ध्यान न दें। जहाँ तक नदी-नालों में बहकर आ रहे अधजले शवों का प्रश्न है तो कोई नई बात नहीं है। देश के कुछ भाइयों का मानना है कि अंतिम संस्कार के दौरान अधजले शव को नदी में बहा दिया जाए तो मृतात्मा को मुक्ति मिल जाती है। ये शव को इसी प्रकार के हैं। हम अपने देशवासियों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं।”
भीड़ से फिर तेज शोर उठा।
वह बिजली की-सी तेजी से देश के सबसे बड़े शाही इमाम के रूप में बाद्ल और बोला, “मैंने दंगाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया है, सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, आप शांति बनाए रखें ।”
भीड़ के एक भाग से अभी भी रोषभरी आवाज़ें उठ रही थीं ।
देखते ही देखते वह देश के सबसे बड़े महंत के रुप में सामने आकर कहने लगा, “ मैंने अभी-अभी दंगाग्रस्त क्षेत्रों में रह रहे भाइयों से बातचीत की है। उनको सरकार से कोई शिकायत नहीं है।”
भीड़ छँटने लगी थी।
तभी विचित्र बात हुई। राजनीतिक कारणों से सरकार बर्खास्त कर दिए जाने की बात आग की तरह चारों ओर फैल गई थी।
लोग फिर उसके सामने जमा होने लगे। इस बार वह ‘भाई-भाई’ नामक फीचर फिल्म के रूप में दौड़े जा रहा था।
“हमें फिल्म नहीं चाहिए!” भीड़ में से किसी ने कहा।
“बर्खास्त सरकार के बारे में बताओ1”कोई दूसरा चिल्लाया।
“धर्मस्थल के बारे में बताओ!!” किसी तीसरे ने चिल्लाकर कहा।
वह उनकी चीख-चिल्लाहट की परवाह किए बिना फिल्म के रूप में दौड़ता रहा।
पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक गुस्से में भर कर उसकी ओर बढ़ने लगे। किसी ने आगे बढ़कर उसका कान उमेठ दिया। वह अदृश्य हो गया।
“खाली---खाली---एमटि---एमटि---” अब केवल उसकी खरखराती आवाज़ सुनाई दी।
“क्या बकवास है” एक युवक दाँत पीसते हुए चिल्लाया।
“डेटा फीड करो---डेटा फीड करो---डेटा फीड करो---डेटा फीड करो---डेटा फीड ---”वह किसी टेप की तरह बजने लगा।
लोग हैरान थे। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि सरकार के बर्खास्त होते ही उसे क्या हो गया है!