एक अदालत में मुकदमा पेश हुआ । “साहब, यह पाकिस्तानी है। हमारे देश में हद पार करता हुआ पकड़ा गया है। तू इस बारे में कुछ कहना चाहता है ? मजिस्टेट ने पूछा । मैंने क्या कहना है, सरकार! मैं खेतों में पानी लगाकर बैठा था। हीर के सुरीले बोल मेरे कानों में पड़े। मैं उन्हीं बोलों को सुनता चला आया। मुझे तो कोई हद नजर नहीं आई।
1413-अंजू निगम की कविताएँ
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*अंजू निगम **की कविताएँ *
*1-बरखा*
बरखा की बूँदों ने जब भी
फैलाया था अपना आँचल
और जब बिखर रहे थे रंग
मेहँदी के, मेरे मन के आँगन में
तब लगा...
3 days ago
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