एक अदालत में मुकदमा पेश हुआ । “साहब, यह पाकिस्तानी है। हमारे देश में हद पार करता हुआ पकड़ा गया है। तू इस बारे में कुछ कहना चाहता है ? मजिस्टेट ने पूछा । मैंने क्या कहना है, सरकार! मैं खेतों में पानी लगाकर बैठा था। हीर के सुरीले बोल मेरे कानों में पड़े। मैं उन्हीं बोलों को सुनता चला आया। मुझे तो कोई हद नजर नहीं आई।
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*डॉ**. **सुरंगमा यादव*
*मंजिलों से परे*
*न जाने किसकी प्रतीक्षा में*
*मुख म्लान हो चला है*
* जिसे कभी टकसाल में ढले*
* नए सिक्के की तरह*
* निर्म...
3 weeks ago