1-सर्वाधिकार सुरक्षित हैं ।
2-बिना अनुमति के किसी भी अंश का प्रकाशन नहीं किया जा सकता ।
3-शैक्षिक उद्देश्यों के लिए सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थाओं को अनुमति दी जा सकती है ।
4-हमारा उद्देश्य केवल सत्साहित्य का प्रचार एवं प्रसार है।
सुकेश साहनी
sahnisukesh@gmail.com
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*गुंजन अग्रवाल*
*माता शे**राँवाली*
*द्वार पड़े तेरे*
*भर दो झोली खाली।*
*माँ वेग सहारा दो*
*भँवर फँसी कश्ती*
*अब मात किनारा दो*
*जागो मैय...
1 week ago
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