1412- पता ही खो गया
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*रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’*
*सब भाव खो गए*
* जीवन खो गया अचानक भला ये क्या-क्या हो गया! जब भाव थे मरे, भाषा भी मरी*
*हर बाट हो गई*
*काँटों से भर...
173-क्रिकेट की कला
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* विजय जोशी, पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल*
*क्रिकेट एक विशिष्ट खेल है, जिसमें न केवल एकाग्रता बल्कि खेल कला का अदभुत
समायोजन है।यही कारण है अंतिम बाल त...
‘नाबाद’ के बहाने ‘बाद’ की बातें
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[image: Sachin-Tendulkar[5]]
रो जमर्रा की भाषा में ऐसे अनेक शब्दों का समावेश रहता है जिनका अक्सर अन्य
भाषाओं में अलग तरीके से इस्तेमाल होता है। ऐसे शब्दों ...
वाटिका – मई 2013
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*मित्रो, ‘वाटिका’ की शुरुआत 7 अक्टूबर 2007 में हुई थी। इस ब्लॉग ने पाँच
वर्ष से अधिक का सफ़र कर लिया है। इस सफ़र में ‘वाटिका’ के साथ अपनी
कविताओं/ग़ज़लों के...
DOGS
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—Darshan Mitwa
*When the shopkeeper saw an Income-tax officer, alongwith his four
subordinates, coming in his shop; he at once stood up from his padded se...
4 comments:
उल्लेखनीय रिपोर्ट। बधाई।
Blog dekha. Shubhkamnayen.
Blog dekha.Shubhkamnayen.... Ratan Chand 'Ratnesh'
सच में जिन्दगी किताब जैसी है Iरिपोर्ट पठनीय व प्रेरक हैI बधाई है I
सुधा भार्गव
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